Ekadashi 2025: ये 24 व्रत खोल देंगे भाग्य के द्वार! जानिए पूरी लिस्ट, नियम, कथा और पारण समय

Ekadashi 2025: ये 24 व्रत खोल देंगे भाग्य के द्वार! जानिए पूरी लिस्ट, नियम, कथा और पारण समय

2025 में कब-कब है एकादशी? इन 24 एकादशियों(Ekadashi) पर खुल जाएगा भाग्य का द्वार!”

एकादशी क्या है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने में दो एकादशी तिथियाँ(Ekadashi Dates) आती हैं — शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे व्रत, उपवास, पूजा और भक्ति के माध्यम से मनाया जाता है। माना जाता है कि एकादशी(Ekadashi 2025) व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।चलिए जानते हैं 2025 की एकादशी तिथियाँ और उनका महत्व।

“एकादशी व्रत न केवल पापों से मुक्ति देता है, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की ओर भी मार्गदर्शन करता है।”

एकादशी व्रत(Ekadashi Vrat) का धार्मिक महत्त्व

पद्म पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, एकादशी व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु स्वयं इस दिन व्रत की महिमा बताते हैं।

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श्लोक:
“एकादश्यां उपोष्य यः, विष्णुं चेतसि चिन्तयेत्।
स याति परमं स्थानं, यत्र विष्णुः प्रतिष्ठितः॥”

एकादशी व्रत की विधि (Ekadashi Vrat Vidhi)

  1. व्रत की पूर्व रात्रि में सात्विक भोजन करें और रात्रि में भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  2. सुबह स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
  3. भगवान विष्णु को तुलसी, पीला फूल, फल आदि अर्पण करें।
  4. व्रत रखें – जलाहार या निर्जल व्रत, अपनी क्षमता अनुसार।
  5. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  6. पारण (अगले दिन) द्वादशी के सूर्योदय के बाद उचित समय पर करें।

2025 की एकादशी व्रत सूची(Ekadashi 2025 Calendar)

कृपया नीचे 2025 की एकादशी तिथियां(Ekadashi 2025 dates) देखें:

एकादशीतिथिदिन
पुत्रदा एकादशी10 जनवरी 2025शुक्रवार
षट्तिला एकादशी25 जनवरी 2025शनिवार
जया एकादशी8 फरवरी 2025शनिवार
विजया एकादशी24 फरवरी 2025सोमवार
आमलकी एकादशी10 मार्च 2025सोमवार
पापमोचिनी एकादशी26 मार्च 2025बुधवार
कामदा एकादशी8 अप्रैल 2025मंगलवार
वरुथिनी एकादशी24 अप्रैल 2025गुरुवार
मोहिनी एकादशी8 मई 2025गुरुवार
अपरा एकादशी23 मई 2025शुक्रवार
निर्जला एकादशी6 जून 2025शुक्रवार
योगिनी एकादशी22 जून 2025रविवार
देवशयनी एकादशी6 जुलाई 2025रविवार
कामिका एकादशी21 जुलाई 2025सोमवार
श्रावण पुत्रदा एकादशी5 अगस्त 2025मंगलवार
अजा एकादशी19 अगस्त 2025मंगलवार
परिवर्तिनी एकादशी3 सितम्बर 2025बुधवार
इन्द्र एकादशी17 सितम्बर 2025बुधवार
पाशांकुशा एकादशी3 अक्टूबर 2025शुक्रवार
रमा एकादशी17 अक्टूबर 2025शुक्रवार
देवउठनी एकादशी2 नवम्बर 2025रविवार
उत्पन्ना एकादशी15 नवम्बर 2025शनिवार
मोक्षदा एकादशी1दिसम्बर 2025सोमवार
सफला एकादशी15 दिसम्बर 2025सोमवार

एकादशी व्रत की कथा (संक्षिप्त में)

प्राचीन काल में मुचुकुंद राजा ने एक बार भगवान विष्णु से पूछा कि कौन सा व्रत सबसे श्रेष्ठ है। तब भगवान ने उत्तर दिया — “एकादशी व्रत ही मोक्ष का सीधा मार्ग है।”

एक और कथा के अनुसार, मुर दैत्य के विनाश के लिए भगवान विष्णु ने एक दिव्य शक्ति को प्रकट किया, जिसे “एकादशी देवी” कहा गया। तभी से इस व्रत का आरंभ हुआ।

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एकादशी व्रत का महत्त्व और लाभ

  • आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति
  • नकारात्मकता और पापों से मुक्ति
  • ईश्वर की कृपा और मोक्ष की प्राप्ति
  • जो व्यक्ति श्रद्धा से एकादशी का व्रत करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास
  • निर्जला एकादशी को ‘भीष्म एकादशी’ भी कहा जाता है, और इसका पालन वर्ष भर की सभी एकादशियों के बराबर फलदायी माना गया है।

क्या करें और क्या न करें?

करें (Do’s)न करें (Don’ts)
ब्रह्मचर्य का पालनप्याज, लहसुन, मांसाहार
भगवान विष्णु का पूजनतामसिक भोजन
मंत्र जाप और कथाझूठ, क्रोध, निंदा
दान और सेवा कार्यनींद में दिन बिताना

एकादशी 2025(Ekadashi 2025) पर मंत्र और स्तुति

  • मुख्य मंत्र:
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  • विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें
  • श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र

FAQs: एकादशी 2025(Ekadashi 2025) से जुड़े सवाल

Q1. एकादशी व्रत कौन रख सकता है?
👉 कोई भी श्रद्धालु – पुरुष, महिला, वृद्ध – यह व्रत रख सकता है।

Q2. क्या निर्जल व्रत ज़रूरी है?
👉 नहीं, आप फलाहार या जलाहार भी कर सकते हैं। भाव प्रमुख है।

Q3. एकादशी पारण कब करना चाहिए?
👉 अगले दिन द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद उचित समय पर।

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Q4. क्या महिलाएं व्रत कर सकती हैं?
👉 हां, गर्भवती/बीमार स्त्रियाँ फलाहार करके व्रत कर सकती हैं।

Q5. एकादशी पर कौन से मंत्र का जाप करें?
👉 “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और विष्णु सहस्रनाम

निष्कर्ष (Conclusion)

Ekadashi 2025 सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि एक अवसर है — आत्मा को शुद्ध करने, पापों से मुक्ति पाने, और ईश्वर के सान्निध्य में आने का।

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हर एकादशी में छिपा है आध्यात्मिक उत्थान का सूत्र। इस लेख को अपने मित्रों और परिवार से जरूर साझा करें ताकि सभी को इसका लाभ मिले।

Team Varanasi Mirror

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