Indira Ekadashi 2025: क्यों है यह व्रत खास, जानें शुभ मुहूर्त और पारण का समय

Indira Ekadashi 2025: क्यों है यह व्रत खास, जानें शुभ मुहूर्त और पारण का समय

Indira Ekadashi 2025 हिंदू धर्म में पितृपक्ष की सबसे महत्वपूर्ण एकादशी मानी जाती है। यह एकादशी विशेष रूप से पितरों की मुक्ति, मोक्ष और विष्णु भक्ति के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन उपवास करने से न केवल व्यक्ति स्वयं के लिए पुण्य अर्जित करता है, बल्कि अपने पितरों को भी नरक से मुक्ति दिलाता है।

 Indira Ekadashi 2025 कब है?

Indira Ekadashi 2025 की तिथि और समय इस प्रकार है:

Advertisement
पर्वतिथिवारव्रत प्रारंभव्रत समाप्तिपारण समय
इंदिरा एकादशी 202517 सितंबर 2025मंगलवार17 सितंबर सुबह 12:21 बजे17 सितंबर रात 11:39 बजे18 सितंबर सुबह 06:07 – 08:34 बजे

👉 यह एकादशी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में आती है और पितृपक्ष का प्रारंभ इसी एकादशी से होता है।

इंदिरा एकादशी का अनुभव – भक्ति का अद्भुत अहसास

कई श्रद्धालु बताते हैं कि इंदिरा एकादशी व्रत करने से उन्हें एक विशेष शांति और ऊर्जा का अनुभव होता है।
सुबह गंगा स्नान, फिर भगवान विष्णु के समक्ष दीपक जलाना, तुलसीदल चढ़ाना और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप – यह सब वातावरण को पवित्र बना देता है।

काशी के घाटों पर उस दिन एक अनोखा नजारा होता है – हजारों भक्त स्नान कर पितरों को तर्पण देते हैं। घंटियों की ध्वनि, शंखनाद और हर-हर महादेव के स्वर गूंजते हैं। यह दृश्य मन और आत्मा दोनों को झकझोर देता है।

Advertisement

 Indira Ekadashi व्रत का महत्व

Indira Ekadashi Vrat का पालन करने से न केवल साधक को पुण्य मिलता है, बल्कि उनके पितरों को मोक्ष और वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो भक्त श्रद्धापूर्वक इस दिन व्रत और पूजा करता है, उसके परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है।

  • यह व्रत विशेष रूप से श्राद्ध पक्ष में होने के कारण पितरों की तृप्ति के लिए सर्वोत्तम है।
  • भगवान विष्णु की कृपा से साधक के समस्त पाप नष्ट होते हैं।
  • काशी (वाराणसी) में इस दिन गंगा स्नान और पिंडदान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।

Indira Ekadashi व्रत की कथा

पुराणों के अनुसार सत्ययुग में राजा इन्द्रसेन नामक एक धर्मपरायण शासक था। एक दिन नारद मुनि उनके पास आए और कहा –
“हे राजन्! आपके पिताजी स्वर्गलोक से पतित होकर नरक में कष्ट भोग रहे हैं। उन्हें मुक्ति दिलाने का उपाय है कि आप भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करें।”

राजा ने श्रद्धापूर्वक Indira Ekadashi व्रत किया और उसका पुण्य अपने पिताजी को समर्पित किया। परिणामस्वरूप उनके पिताजी को मोक्ष प्राप्त हुआ।

Advertisement

👉 इस कथा से यही शिक्षा मिलती है कि यह व्रत न केवल आत्मकल्याण के लिए है, बल्कि पितरों के उद्धार का भी माध्यम है।

Indira Ekadashi पूजा विधि

1. सुबह की तैयारी और स्नान

  • प्रातः काल गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
  • स्नान के बाद विष्णु भगवान का स्मरण करें।

2. भगवान विष्णु की पूजा

  • पीले वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को जल, गंगाजल, पुष्प, दीप, धूप और नैवेद्य से पूजें।
  • तुलसी पत्र अर्पित करना अनिवार्य है।

3. व्रत और भजन-कीर्तन

  • पूरे दिन उपवास करें और केवल फलाहार या जल ग्रहण करें।
  • विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

4. दान और ब्राह्मण भोजन

  • ब्राह्मण को भोजन कराकर दक्षिणा दें।
  • पितरों के नाम से तर्पण करें।

 Indira Ekadashi पारण समय 2025

व्रत पारण का समय 18 सितंबर 2025 की सुबह 06:07 से 08:34 बजे तक है।
👉 ध्यान रखें कि एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि में पारण करना अनिवार्य है, वरना व्रत अधूरा रह जाता है।

 Indira Ekadashi पर क्या करें और क्या न करें

क्या करें (Do’s)क्या न करें (Don’ts)
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करेंलहसुन, प्याज, मांस-मछली और मदिरा का सेवन न करें
भगवान विष्णु के मंत्र, भजन और सहस्रनाम का पाठ करेंझूठ बोलना और क्रोध करना वर्जित है
पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करेंजुआ, ताश या नकारात्मक कार्यों से बचें
जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दान देंआलस्य और व्रत तोड़ने से बचें
फलाहार या जल से उपवास करेंअन्न और तामसिक भोजन का सेवन न करें
तुलसी पत्र से भगवान विष्णु का पूजन करेंदूसरों को दुख देने वाले कार्य न करें

 वाराणसी में Indira Ekadashi का महत्व

  • काशी में इस दिन गंगा स्नान और पितृ तर्पण विशेष रूप से किया जाता है।
  • मणिकर्णिका घाट और पिशाचमोचन तीर्थ पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए हजारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं।
  • काशी विश्वनाथ धाम में इस अवसर पर विशेष पूजन और भजन संध्या का आयोजन होता है।

Indira Ekadashi मंत्र और श्लोक

नमो भगवते तस्मै विष्णवे परमात्मने।
इन्द्रैकादशीपुण्यं ददातु मम शाश्वतम्॥

❓ FAQs – Indira Ekadashi 2025 से जुड़े प्रश्न

Q1. Indira Ekadashi किसके लिए विशेष है?
यह व्रत पितरों की मुक्ति और आत्मिक शांति के लिए है।

Advertisement

Q2. क्या स्त्रियाँ भी Indira Ekadashi व्रत कर सकती हैं?
हाँ, पुरुष और स्त्रियाँ दोनों यह व्रत कर सकते हैं।

Q3. इस दिन कौन सा भोजन वर्जित है?
अन्न, दाल, लहसुन, प्याज और मांसाहार वर्जित है।

Q4. वाराणसी में Indira Ekadashi का महत्व क्यों अधिक है?
क्योंकि काशी में पितृपक्ष श्राद्ध और गंगा स्नान का विशेष महत्व है।

Advertisement

निष्कर्ष

Indira Ekadashi 2025 केवल उपवास का दिन नहीं है, बल्कि यह पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष का दिव्य अवसर है। वाराणसी सहित पूरे भारत में भक्त इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति भाव से करते हैं। मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन से सभी दुख दूर हो जाते हैं और पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

Advertisement

👉 यदि आप भी इस वर्ष Indira Ekadashi व्रत करने जा रहे हैं, तो ऊपर बताए गए नियम और पूजा विधि का पालन अवश्य करें।

Team Varanasi Mirror

Team Varanasi Mirror

error: Content is protected !!