Parsva Ekadashi 2025 पर भूलकर भी न करें ये गलती, व्रत के नियम और महत्त्व जरूर पढ़ें

पार्श्वा एकादशी 2025 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, पार्श्वा एकादशी (Parsva Ekadashi) 2025 का व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाएगा। इसे परिवर्तिनी एकादशी या पद्मा एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में करवट बदलते हैं और दक्षिणायन का दूसरा बड़ा पर्व माना जाता है।
तिथि | दिन | एकादशी प्रारंभ | एकादशी समाप्ति | परण समय (Parana Time) |
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3 सितंबर 2025 | गुरुवार | 3 सितंबर, 03:53 AM | 4 सितंबर, 04:21 PM | 4 सितंबर, 01:36 PM – 04:07 PM |
पार्श्वा एकादशी (Parsva Ekadashi) 2025 का महत्व
पार्श्वा एकादशी व्रत महत्त्व ग्रंथों में अत्यधिक बताया गया है। यह व्रत पापों का नाश करता है और मोक्ष की प्राप्ति कराता है।
- यह व्रत करने से 1000 अश्वमेध यज्ञ और 100 राजसूय यज्ञ का फल मिलता है।
- भगवान विष्णु स्वयं कहते हैं कि पार्श्वा एकादशी का व्रत करने वाला मनुष्य अगले जन्म में उच्च कुल में जन्म पाता है।
- भक्तों का विश्वास है कि इस दिन व्रत करने से जीवन में समृद्धि और शांति आती है।
👉 पार्श्वा एकादशी (Parsva Ekadashi) 2025 विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ है जो जीवन में नई शुरुआत करना चाहते हैं।
पार्श्वा एकादशी व्रत कथा
पार्श्वा एकादशी व्रत कथा महाभारत और पद्म पुराण में मिलती है। कथा के अनुसार, राजा बलि ने अपने पराक्रम से तीनों लोक जीत लिए। तब देवताओं ने भगवान विष्णु से रक्षा की प्रार्थना की।
भगवान विष्णु वामन अवतार में राजा बलि के पास पहुंचे और तीन पग भूमि मांगी। राजा बलि ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। विष्णुजी ने एक पग में पृथ्वी, दूसरे में आकाश नाप लिया और तीसरे पग के लिए बलि ने अपना सिर अर्पित कर दिया।
उस दिन भाद्रपद शुक्ल एकादशी थी, और तभी से इसे पार्श्वा एकादशी कहा जाने लगा।
पार्श्वा एकादशी 2025 की पूजा विधि
पार्श्वा एकादशी पूजा विधि बहुत सरल और फलदायी मानी गई है:
- प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- घर या मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल से स्नान कराएं।
- तुलसी पत्र, पीले फूल और पीले वस्त्र अर्पित करें।
- भगवान को फल, पंचामृत और मिठाई का भोग लगाएं।
- विष्णु सहस्रनाम, गीता या नारायण स्तोत्र का पाठ करें।
- दिनभर व्रत रखें और रात्रि में भजन-कीर्तन करें।
- अगले दिन पारण करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
👉 इस तरह से की गई पूजा से पार्श्वा एकादशी (Parsva Ekadashi) 2025 व्रत महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
पार्श्वा एकादशी व्रत नियम
- व्रती को इस दिन लहसुन, प्याज, मांस-मद्य आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- केवल फलाहार और सात्विक आहार करें।
- क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से बचें।
- दिनभर मन को भगवान विष्णु के भजन और ध्यान में लगाएं।
वाराणसी और पार्श्वा एकादशी
काशी नगरी का पार्श्वा एकादशी से गहरा संबंध है। वाराणसी और पार्श्वा एकादशी का संगम इस दिन विशेष महत्व रखता है।
- काशी विश्वनाथ मंदिर और संकट मोचन मंदिर में हजारों श्रद्धालु दर्शन और पूजन के लिए आते हैं।
- गंगा स्नान और दान-पुण्य का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
- संतों का मानना है कि इस दिन वाराणसी में पार्श्वा एकादशी व्रत करने से जीवन के समस्त कष्ट मिट जाते हैं।
पार्श्वा एकादशी 2025 श्लोक
“एकादश्यां विशेषेण विष्णुं सम्पूज्य भक्तितः।
सर्वपापविनिर्मुक्तो विष्णुलोके महीयते॥”
पारण समय और महत्व
पार्श्वा एकादशी पारण समय 4 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 36 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 07 मिनट तक है। पारण का समय बेहद पवित्र माना जाता है। समय पर पारण न करने से व्रत अधूरा रह जाता है।
पार्श्वा एकादशी 2025 के लाभ
- मानसिक शांति और पारिवारिक सुख
- रोगों से मुक्ति और उत्तम स्वास्थ्य
- व्यापार और करियर में उन्नति
- मोक्ष और भगवान विष्णु का आशीर्वाद
FAQs – पार्श्वा एकादशी 2025
Q1. पार्श्वा एकादशी 2025 कब है?
➡️3 सितंबर की सुबह 3 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी ।
Q2. पार्श्वा एकादशी पारण कब होगा?
➡️ 4 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 36 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 07 मिनट तक है
Q3. पार्श्वा एकादशी को क्या कहते हैं?
➡️ इसे परिवर्तिनी एकादशी और पद्मा एकादशी भी कहते हैं।
Q4. पार्श्वा एकादशी व्रत करने से क्या लाभ होता है?
➡️ सभी पाप नष्ट होते हैं, मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में समृद्धि आती है।
Q5. वाराणसी में पार्श्वा एकादशी क्यों विशेष है?
➡️ क्योंकि काशी विश्वनाथ और गंगा स्नान का महत्व इस दिन कई गुना बढ़ जाता है।
निष्कर्ष
पार्श्वा एकादशी (Parsva Ekadashi) 2025 न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि जीवन को सकारात्मकता और शांति से भर देती है। इस दिन व्रत करने से मनुष्य भगवान विष्णु की कृपा पाता है और पापों से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होता है। विशेषकर वाराणसी में यह पर्व हजारों भक्तों की आस्था का केंद्र होता है