Shardiya Navratri 2023 Quotes: दुर्लभ योग से बरसेगी मां दुर्गा की कृपा
Shardiya Navaratri 2023 शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 से होने जा रही है और इस बार की नवरात्रि कई मायनों में बेहद खास है।
Shardiya Navratri 2023 Quotes: शारदीय नवरात्रि जिसे हम दुर्गा पूजा के नाम से भी जानते हैं, इसकी शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 से होने जा रही है। इस बार की नवरात्रि बाकी वर्षों की नवरात्रि से इसलिए सबसे अलग और फलदाई साबित होने वाली है, क्योंकि पहली पूजा के दिन ही तीन योग भद्र राजयोग, शश राजयोग और बुध आदित्य योग एक साथ बन रहे हैं, जिससे कि कई राशियों के लोगों को अपार सफलता के साथ खूब धन-धान्य की प्राप्ति भी होने की पूरी उम्मीद है।
दुर्गा पूजा 2023 के दौरान यदि आप घट स्थापना करने जा रहे हैं, तो आपको 15 अक्टूबर की तारीख और सुबह 6:21 बजे से 10:12 बजे का समय अपने दिमाग में बैठा लेना चाहिए, क्योंकि घट स्थापना के लिए इससे बेहतर मुहूर्त कोई और नहीं होगा। हालांकि यदि आप इसे चूक जा रहे हैं तो आप चाहें तो सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक भी घट स्थापना कर सकते हैं, क्योंकि यह मुहूर्त भी इसके लिए सर्वोत्तम साबित होने वाला है।
Shardiya Navaratri 2023 का इंतजार आपको बेसब्री से इसलिए भी होना चाहिए, क्योंकि आप यह जानकर खुश हो जाएंगे कि इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो इससे धरती पर हर ओर सुख-समृद्धि फैल जाती है। साथ ही इससे अच्छी वर्षा की भी संभावना बढ़ जाती है, जो कि धरती को हरा-भरा बनाकर हर और खुशहाली के फैलाव का माध्यम बनती है।
नीचे दिए गए नीचे दिए गए कोट्स(Shardiya Navratri 2023 Quotes) के द्वारा आप अपने इष्ट मित्रों व शुभचिंतकों को शारदीय नवरात्रि का शुभकामना संदेश प्रेषित कर सकते हैं।
गज पर सवार होकर आएंगी माता,
धन की बरसात कराएंगी माता।
नौ शुभ दिनों की अनन्य उपासना से,
मनोवांछित फल की प्राप्ति कराएंगी माता।
कलश पूजन व ज्योति पूजन के बाद,
दुर्गा सप्तशती का पाठ करें हर जातक।
“ओं ह्रीं चामुंडाए विच्चे” निर्वाण मंत्र के उद्घोष से,
पाठ आरंभ फिर समापन करें हर साधक।
अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा,
दिन रविवार अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना।
नौ दिनों के निवास से आलोकित होगा भक्तों का आवास,
पूजा आराधना से पूरी होगी सबकी आस।
शारदीय नवरात्रि का प्रथम दिवस,
हिमालय सुता शैलपुत्री का भव्य पूजन।
सफेद पुष्प, रोली चावल का अर्पण,
माता के चरणों में भक्तों का समवेत समर्पण।
शारदीय नवरात्रि का द्वितीय दिवस,
रोली, लौंग, इलायची, अक्षत, चंदन, कमल व अड़हुल के फूल का अर्पण।
मां ब्रह्मचारिणी को भक्तों का नमन और समर्पण,
स्मरण शक्ति दे अभय कृपा करती हैं भक्तों पर।
शारदीय नवरात्रि का तृतीय दिवस,
अलौकिक शांति प्रदायिनी चंद्रघंटा के चरणों में भक्तों का समर्पण।
स्वर्ण सा चमकीला वर्ण,
आसुरिक शक्तियों के विनाश को मां रहती हैं तत्पर।
शारदीय नवरात्रि का चतुर्थ दिवस,
योग-ध्यान और अन्नपूर्णा स्वरूप मां कुष्मांडा को समर्पण।
मालपुए के भोग का अर्पण,
मां प्रसन्न हो भक्तों का हरती हैं विघ्न और देती हैं अभय वर।
शारदीय नवरात्रि के पंचम दिवस का सार,
मोक्ष प्रदायिनी स्कंदमाता की पूजा अर्चना से अभिसिंचित दरबार।
माता की गोद में विराजते हैं बालक स्कंद,
भक्तों को संतान सुख का मिलता है आनंद।
शारदीय नवरात्रि की षष्ठी तिथि,
कात्यायनी आराधना से गुंजित दरबार।
सोलह श्रृंगार का माता को समर्पण,
शहद के भोग से माता को अर्पण।
शारदीय नवरात्रि की महासप्तमी,
मां कालरात्रि हैं शुभंकरी।
रिद्धि-सिद्धि दात्री है मां कालरात्रि,
भक्तों को काल के गाल से निकलती हैं
मां कालरात्रि।
गौरवर्णा महागौरी,
आठवें स्वरूप की हैं अधिष्ठात्री।
श्वेत रंग प्रिया मां हैं श्वेतांबरधरा,
शिव प्रिया पार्वती महागौरी स्वरुपा हैं।
नवम सिद्धिदात्री मां,
सुख समृद्धि प्रदायिनी हैं।
हवन, कन्या पूजन से माता विदा होती हैं,
भक्तों के कष्ट दुःख सब हर लेती हैं।
आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को “विजयादशमी” पर्व है।
असत्य पर सत्य की विजय है “विजयादशमी”,
रावण के अहंकार का वध
और महिषासुर के मर्दन से असुरों का अंत है “विजयादशमी”।