दशाश्वमेध घाट: वाराणसी का ऐसा स्थान जहाँ आपको जरूर जाना चाहिए

दशाश्वमेध घाट: वाराणसी का ऐसा स्थान जहाँ आपको जरूर जाना चाहिए

बनारस यानी वाराणसी एक पावन नगरी है जो प्रसिद्ध है यहां स्थित खूबसूरत घाटों के लिए। यह शहर आध्यात्मिक ज्ञान और बेहतरीन दृश्यों के लिए तो जाना ही जाता है साथ ही साथ दुनिया भर के हिंदू तीर्थ यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित भी करता है। बनारस शहर अपने घाटों के लिए प्रसिद्ध है, अगर आपके मन में ये सवाल उठ रहा हो कि वाराणसी मे कितने घाट हैं (How many Ghats in Varanasi)? तो आपको बता दूँ कि यहां गंगा नदी के किनारे 100 से अधिक घाट बसे है, जो बनारस शहर की सुंदरता को और भी ज्यादा बढ़ाते हैं। यहां स्थित दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat) सभी घाटों में सबसे ज्यादा प्राचीन और शानदार है। विद्वानों ने दशाश्वमेध घाट(Dashashwamedh Ghat Varanasi) का अर्थ बताया है “दस घोड़ों का बलिदान”! कहावतों के मुताबिक इस जगह भगवान ब्रह्मा द्वारा एक यज्ञ का आयोजन किया गया था, जिसका उद्देश्य था भगवान शिव को निर्वासन से वापस बुलाना। जब भगवान शिव निर्वासन से वापस आए तो उनके आने की खुशी में दस घोड़ों का बलिदान दिया गया था। तब से इस घाट का नाम पड़ा दशाश्वमेध घाट। बनारस के प्रसिद्ध घाटों में से एक है ये स्थान,जहां पर रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और इस जगह में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा भी लेते हैं।

दशाश्वमेध घाट का इतिहास

दशाश्वमेध घाट के इतिहास की बात करें तो इस संबंध में बहुत सी कहानियां प्रचलित हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख है

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  • काशी खंड में इस बात का वर्णन है कि शिव प्रेषित ब्रह्मा जी द्वारा इस घाट पर अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया गया था। और दस घोड़ों की बलि देने की वजह से इस घाट का नाम पड़ा दशाश्वमेध घाट।
  • कुछ विद्वानों का यह भी मानना है कि नागवंशी राजा वीर सिंह द्वारा इस जगह पर 10 बार अश्वमेध यज्ञ कराया गया था जिस वजह से इसका नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा।

क्यों है प्रसिद्ध ये घाट?

शाम के समय और शिवरात्रि उत्सव के दौरान घाट पर अधिक भीड़ होती है। सुबह-सुबह, आप घाट में कई अनुष्ठानों और गतिविधियों को देख सकते हैं। ग्रहण के दौरान इस घाट में पवित्र स्नान करने की मान्यता है। घाट के पास कई प्रसिद्ध मंदिर और पर्यटक आकर्षण हैं।

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कैसे पहुंचे?

दशाश्वमेध घाट काशी विश्वनाथ मंदिर के बहुत करीब स्थित है। गोदौलिया पहुंचने के लिए आप बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से ऑटो रिक्शा या कार ले सकते हैं। गोदौलिया से, घाट तक पहुंचने के लिए 5-10 मिनट पैदल चलना पड़ता है क्योंकि इसके पास किसी भी वाहन की अनुमति नहीं है। आपको यहां तक आने के लिए कुछ प्रमुख रास्तों को विजिट करना होगा।

  • बनारस के कैंट स्टेशन आपको लहुराबीर जाना होगा इसके बाद आप यहां से दशाश्वमेध घाट जा सकते हैं। कैंट स्टेशन से दशाश्वमेध घाट की दूरी है 5.2 किलोमीटर।
  • या आप चाहे तो कैंट स्टेशन से विद्यापीठ मार्ग जाएं और फिर गोदौलिया जिसके पास दशाश्वमेध घाट स्थित है।

यहां के प्रमुख आकर्षण है गंगा आरती

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दशाश्वमेध घाट का सबसे प्रमुख और प्रचलित आकर्षण है दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती (Dashashwamedh Ghat Aarti)। जब आप वाराणसी घाट (Varanasi Ghat) देखने आए तो दशाश्वमेध घाट जरूर आए और वाराणसी की इस प्रसिद्ध गंगा आरती (Ganga Aarti Varanasi) में जरूर शामिल हो जो कि हर दिन सुबह और शाम दोनों ही समय होती है। हम आपको सलाह देना चाहेंगे कि आप शाम की आरती जरूर देखें क्योंकि यह देखने में काफी आकर्षक लगती है। गंगा आरती के बाद पवित्र जल में दिए जलाकर छोड़े जाते हैं जो काफी मनमोहक है। गंगा आरती का आनंद बोट पर बैठकर जरूर ले, क्योंकि ये आपके लिए यादगार रहेगा।

यह आरती केसरिया वस्त्र पहने पंडितों द्वारा की जाती है और इसकी शुरुआत शंख बजाने के साथ होती है।

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बड़ी पीतल की दीपो को प्रज्वलित करके पूर्ण वृत्ताकार पैटर्न में लहराया जाता है और सभी मंत्रों को लयबद्ध तरीके से उच्चारित किया जाता है। आरती का वर्णन ही इतना आकर्षक है तो आरती देखने में कितनी आकर्षक होगी। इसीलिए कभी भी वाराणसी के घाटों (Ghats in Varanasi) को देखने आए तो दशाश्वमेध घाट की संध्या आरती में जरूर सम्मिलित हों। दशाश्वमेध घाट की संध्या आरती (Dashashwamedh Ghat Aarti Time) का समय है 06:30 बजे ।

दशाश्वमेध घाट के पास के आकर्षण स्थल

विश्वनाथ गली

विश्वनाथ गली वाराणसी में स्ट्रीट शॉपिंग के लिए मशहूर है। ये गली काफी चहल-पहल वाली है जहाँ आपको काफी सस्ती कीमतों पर तरह-तरह के सामान मिल जाएंगे। आपको यहाँ मॉडर्न या ट्रेडीशनल क्लॉथ, घरेलू सामान, घर की सजावट के सामान, देवताओं की पीतल की मूर्तियों आदि आसानी से मिल जाएंगे। इसके अलावा ये गली स्नैक्स और मिठाइयों के लिए भी प्रसिद्ध है।

काशी विश्वनाथ मंदिर

ये वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जो कि भगवान शिव को समर्पित है। इसे भगवान शिव का स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है। इसे 1780 ई. में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर के द्वारा बनवाया गया था। इसके बारे में यहाँ पढ़ें।

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गोदोलिया

वाराणसी आने वाले व्यापारियों का पसंदीदा पड़ाव गोदोलिया मार्केट हैं। ये मार्केट लगभग 3 किमी तक विस्तृत है। यह बाजार श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास मौजूद है और शहर के सबसे पुराने स्थानीय बाजारों में से एक है। ये बाजार रेशम की कढ़ाई के लिए प्रसिद्ध है।

यहाँ की सभ्यता और संस्कृति

दशाश्वमेध घाट हिंदू संस्कृति और परंपरा के रूप में काफी प्रसिद्ध है। जब आप दशाश्वमेध घाट आएंगे तो आपको यहां पर ऐसे हिंदू धर्म के रीति रिवाज और संस्कार दिखेंगे जो शायद ही कहीं आपने देखे हैं।

यात्रा से संबंधित कुछ टिप्स

  • गंगा आरती के दौरान घाट पर बहुत भीड़ होती है इसलिए अगर आप अपने बच्चों के साथ है तो उनका विशेष ध्यान रखें।
  • हालांकि गंगा का पानी पवित्र है, लेकिन पीने लायक नहीं है। पानी को पीने लायक बनाने के लिए बहुत से उपाय किए गए हैं, लेकिन अभी तक इसमें सफलता प्राप्त नहीं हुई है। इसलिए यहाँ का पानी पीने से बचे।
  • अगर आपकी त्वचा या आपके बच्चों की त्वचा संवेदनशील है तो उन्हें नदी में नहाने से बचना चाहिए।
  • भीड़ होने की वजह से आपको गंगा आरती में अच्छा दृश्य देखने के लिए समारोह से कम से कम एक घंटे पहले घाट पर पहुंचना चाहिए।
  • दशाश्वमेध घाट पर अन्य घाटों की तुलना में नाव का किराया अधिक है,अगर आपका बजट अच्छा है तो यहाँ बोट राइड (Boat ride in Varanasi) का आनंद अवश्य उठायें।

टीम वाराणसी मिरर

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