राजघाट बेसेंट स्कूल – जहाँ छात्र स्वयं से रु-ब-रु होते हैं

राजघाट  बेसेंट स्कूल – जहाँ छात्र स्वयं से रु-ब-रु होते हैं

राजघाट बेसेंट स्कूल(Rajghat Besant School) एक ऐसा स्कूल है जिसका संचालन जिद्दू कृष्णमूर्ति एवं ऐनी बेसेंट के द्वारा गठित कृष्णमूर्ति फाउंडेशन के द्वारा किया जाता है। लेकिन यह फाउंडेशन अस्तित्व में कैसे आया और ऐसी क्या बात थी कि दो लोग जो एक दूसरे से बिलकुल ही अलग व्यक्तित्व के थे उन्होंने एक साथ मिल कर ऐसे शिक्षा संस्थानों की नींव रखी।

थियोसोफिकल सोसायटी ऑफ अडयार की यात्रा पर आईं ऐनी बेसेंट से जे कृष्णमूर्ति की मुलाकात हुई । दोनों ही इस बात में दृढ़ता से विश्वास करते थे की सत्य ही अंतिम धर्म है और यह बात उनके द्वारा दी गई शिक्षा में प्रतिबिंबित होती भी है। अपने मन-मस्तिष्क को किसी भी प्रकार के भय से मुक्त कर सत्य की खोज की चाह से बंधे इन दोनों विचारकों ने पहले फाउंडेशन और फिर शिक्षा संस्थानों के निर्माण के लिए कंधे से कन्धा मिला कर संघर्ष किया। 1930 के दशक में गंगा किनारे अस्तित्व में आया राजघाट बेसेंट स्कूल तभी से अपने विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के सभी पहलुओं के सर्वांगीण विकास में लीन है।

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शिक्षा प्रणाली

राजघाट बेसेंट स्कूल(Rajghat Besant School) आज की आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ कदम से कदम मिला कर चलता है लेकिन जहाँ आज की शिक्षा प्रणाली बाहरी दुनिया और किताबों से सम्बंधित ज्ञान प्राप्त करने और नंबरों पर बहुत जोर देती है, लेकिन अक्सर अपने बारे में ज्ञान प्राप्त करने और एक व्यक्ति के रूप में विकसित करने की आवश्यकता को उजागर करने में विफल रहती है वहीँ आरबीएस अपने विद्यार्थियों के अस्तित्व के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करता है। यह एक ऐसी जगह है जहाँ शिक्षक और छात्र दोनों बाहरी दुनिया के ज्ञान के साथ साथ अपनी सोच, अपने व्यवहार में भी जागरूक होते हैं। अपने बारे में जागरूक होना और ज़िन्दगी जीने के तरीकों को सीखना महत्वपूर्ण है ताकि जीवन यात्रा सुखमय हो । इस तरह के स्वतंत्र वातावरण में ही सच्ची शिक्षा संभव है।

स्कूल का वातावरण

आरबीएस में विविध पाठ्येतर गतिविधियों एवं प्रकृति के साथ साथ नियमित रूप से कक्षाओं में भी पढाई होती है। स्कूल में एक तनाव मुक्त वातावरण रहता है जहाँ पढ़ाई एक आनंद है, बोझ नहीं। यहाँ बच्चों को नम्बरों के पीछे भगाने की बजाय शिक्षकों के मार्गदर्शन में एक दूसरे की मदद से विषयों को, प्रकृति को, जीवन को सीखने-सिखाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यदि हम अपने बच्चों को कुछ सीखने और अपने अंदर के कौशल को विकसित करने लायक प्रतिस्पर्धा से मुक्त वातावरण दें सकें तो इस से बेहतर हमारी भावी पीढ़ी के लिए क्या होगा।

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स्कूल एक ऐसा माहौल बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध रहता है जहां शिक्षक और छात्र दोनों ही एक दूसरे से सम्मान और एक दूसरे को समझने और स्वीकारने की भावना से जुड़े होते हैं हैं। शिक्षकों और छात्रों के बीच का संबंध खुला और मैत्रीपूर्ण होता है जो बेहतर शिक्षा का आधार बनता है।ज्यादातर शिक्षक स्कूल कैम्पस में ही रहते हैं जिसकी वजह से शिक्षकों और छात्रों के बीच एक घनिष्ठ संबंध बन जाता है और छात्र अपनी किसी भी समस्या के बारे में खुल कर अपने शिक्षक या हॉउस पेरेंट( हॉस्टल वार्डन) से बात करते हैं।

एक्टिविटीज़

आरबीएस अपनी कक्षाओं और अपने हॉस्टल में किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स या ऐसी कोई भी डिवाइस जो इंटरनेट से कनेक्ट हो सकती हो, को रखने की आज्ञा नहीं देता है। बाहरी दुनिया से जुड़े रहने के लिए बच्चों को सप्ताहंत में रेडिओ दिया जाता है। प्रत्येक शनिवार 1st से 6th और 7th से 12th क्लास के बच्चों को एक मूवी दिखाई जाती है। मूवी का चुनाव 2 टीचर और 3 स्टूडेंट की एक टीम करती है, मूवी देखने के बाद उसके सभी पहलुओं पर डिस्कशन करने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित किया जाता है। इस से बच्चों में चीज़ों को देखने समझने का एक नया दृष्टिकोण पैदा होता है, वे अपनी भावनाओं और विचारों को अच्छी तरह एक्सप्रेस करना सीखते हैं और उनके अंदर का संभावित कलाकार विकसित होता है। इसके अलावा खेल-कूद, पॉटरी, चित्रकला, बुक बाइंडिंग, संगीत, फोटोग्राफी, मूर्तिकला, स्टोरी राइटिंग इत्यादि भी यहाँ का हिस्सा हैं।

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समय समय पर विभिन्न विषयों के एक्सपर्ट्स को स्कूल में बुलाया जाता है ताकि बच्चे उस विषय को और बेहतर समझ सकें।

भोजन

राजघाट बेसेंट स्कूल(Rajghat Besant School) में सभी बच्चों को शाकाहारी भोजन दिया जाता है। हॉस्टल के बच्चों के साथ साथ डे स्कॉलर्स को भी लंच स्कूल में ही कराया जाता है। छोटे बच्चों को भोजन के बाद स्कूल में सोना भी होता है। आहार में दाल, चावल, गेंहू, मौसमी सब्जियाँ, फल, दूध और अंडा शामिल किया जाता है। ध्यान रखा जाता है कि आहार सम्पूर्ण व् संतुलित हो, इसके लिए आरबीएस की कोशिश रहती है की बच्चों के भोजन में वैराइटी हो और उन्हें सभी आवश्यक तत्व प्राप्त हों। केमिकल मुक्त भोजन के लिए आरबीएस के कैम्पस में ही चावल, गेंहू, मौसमी सब्जियाँ तथा फलों की खेती की जाती है। बच्चों के लिए दूध भी यहीं के डेयरी फार्म से आता है। डाइनिंग हॉल में बच्चे जितना चाहे दूध पी सकते हैं।

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लाइफ स्किल्स

बच्चे भविष्य में अपना जीवन बिना किसी परेशानी के आराम से जी सकें इसके लिए आरबीएस उन्हें विभिन्न प्रकार की कुशलतओ में दक्ष करने का प्रयास करता है जैसे कि अपना भोजन स्वयं परोसना, अपने बर्तन एवं कपडे स्वयं धोना, कमरे, बाथरूम, टॉयलेट की सफाई, पेड़-पौधों की देखभाल इत्यादि। एक ऐसा वातावरण जहाँ शिक्षा के साथ साथ जीवन जीने के ऐसे तरीके सिखाये जातें है जिस से व्यक्ति कुशल एवं आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर होता है, प्रकृति से जुड़ना सीखता है, यही तो लक्ष्य है आरबीएस का- व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में कुशल और आत्मनिर्भर बनाना।

पृष्ठभूमि एवं उद्देश्य

अंग्रेजी माध्यम का यह को-एड स्कूल गंगा किनारे करीब 300 एकड़ में फैला हुआ है। किवदंतियाँ कहती हैं की राजघाट की इसी भूमि पर चल कर बुद्ध सारनाथ पहुँचे थे। नई पीढ़ी के सर्वांगीड़ विकास के कृष्णमूर्ति के सपने को सच करने के लिए रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने निजी वास्तुकार सुरेंद्रनाथ कर को असेम्बली हॉल और स्कूल के भवन का डिजाइन तैयार करने के लिए भेजा और इस तरह आरबीएस का निर्माण 1934 में शुरू हुआ।

एक ऐसा शिक्षण संस्थान जिस से जे. कृष्णमूर्ति, एनी बेसेंट, रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसी शख्शियतें जुड़ी हों उसका उद्देश्य एक बेहतर समाज के निर्माण के लिए सतत प्रयास से जीवन के आरम्भ में ही छात्रों को नंबरों और मटीरियलस्टिक चीज़ों को इकठ्ठा करने की चूहा दौड़ से अलग कर उनमें

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  • जीवन के गहरे और अर्थपूर्ण सवालों को समझने, जीवन को उसकी व्यापकता में देखने समझने की काबिलियत पैदा करने
  • जीवन की चुनौतियों का सामना ईमानदारी, गरिमा और आत्मविश्वास से करने
  • जीवन के सभी रूपों का सम्मान करने
  • पढ़ाई के साथ साथ सभी चीज़ों में उत्कृष्टता प्राप्त करने की इच्छा
  • शारीरिक विकास की आवश्यकता को समझना
  • स्वयं को स्वीकारना
  • एक्टिव लाइफ स्टाइल और सम्पूर्ण पौष्टिक आहार की जरुरत को समझ उसे आत्मसात करना
  • सामाजिकता, आपसी सहयोग की भावना का विकास करना है।

निष्कर्ष

आजकल के अधिकाँश शिक्षा संस्थान इस बात की परवाह नहीं करते कि आप किस तरह के जीवन के लिए तैयार हो रहे हैं, आप अपने सामाजिक- पारिवारिक रिश्तों को कैसे निभाएंगे, सामाजिक वर्जनाओं को कैसे चुनौती देंगे, उन्हें सिर्फ इस बात की चिंता है की कैसे उनके छात्र ज्यादा से ज्यादा नंबर लायें ताकि उनके स्कूल का नाम शहर के बेस्ट स्कूल(Rajghat Besant School) में शुमार हो सकें।वहीँ दूसरी तरफ आर बी एस बेहतर समाज के निर्माण के लिए बच्चों को बेहतर मनुष्य बनाने में सतत प्रयत्नशील है।

टीम वाराणसी मिरर

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