बीएचयू चलाएगा काशी अध्ययन पाठ्यक्रम, काशी के रग-रग से वाकिफ होंगे छात्र

बीएचयू चलाएगा काशी अध्ययन पाठ्यक्रम, काशी के रग-रग से वाकिफ होंगे छात्र

काशी यानी कि वाराणसी अपने आप में किसी विषय से कम नहीं है। यह वास्तव में एक पाठ्यक्रम है, जिसके बारे में यदि पढ़ना शुरू किया जाए तो इसका अंत ढूंढना बहुत ही मुश्किल है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में इसी के महत्व को समझते हुए काशी अध्ययन पाठ्यक्रम(Kashi Study Course) शुरू होने जा रहा है। साथ में आर्काइवल स्टडीज एंड मैनेजमेंट के साथ डायस्पोरा स्टडीज के पाठ्यक्रमों का भी यहां आगाज होने वाला है।

काशी के पर्व-त्योहारों का अध्ययन

वाराणसी में कई तरह के पर्व बहुत ही लोकप्रिय हैं। इनमें नाटी इमली के भरत मिलाप से लेकर तुलसी घाट की नाग-नथैया, देव दीपावली, गंगा आरती, रथयात्रा मेला, रामेश्वर का लोटा भंटा मेला, चेतगंज की नकटैय्या और कई प्राचीन मेले भी शामिल हैं। इन सभी के बारे में बीएचयू के काशी अध्ययन पाठ्यक्रम में पढ़ने के लिए मिलेगा।

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पैनल में शामिल थे ये विशेषज्ञ

काशी अध्ययन पाठ्यक्रम(Kashi Study Course) के लिए एक पैनल का गठन बीएचयू के कुलपति ने किया था। इसमें पद्मश्री डॉ राजेश्वर आचार्य, मशहूर लोक गायिका मालिनी अवस्थी और सांस्कृतिक समीक्षक अमिताभ भट्टाचार्य शामिल थे। इन्होंने जो सुझाव दिए हैं, उन्हीं के आधार पर पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है।

इसके लिए पाठ्यक्रम का निर्माण हो रहा है। इसके लिए एक समिति भी बनाई गई है, जिसकी अध्यक्षता सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्र कर रहे हैं। प्रोफेसर रंजना शील, प्रोफेसर केशव मिश्रा, डॉक्टर ध्रुव कुमार सिंह और प्रोफेसर तबीर कालम को इसमें शामिल किया गया है।

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इनके बारे में मिलेगा पढ़ने को

कबीर दास और तुलसीदास से लेकर महात्मा बुद्ध, जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ, स्वामी विवेकानंद और अशोक महान जैसे महापुरुष अलग-अलग समय पर काशी यात्रा कर चुके हैं। इनका प्रभाव भी काशी पर पड़ा है। इन सभी को काशी अध्ययन पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

काशी अध्ययन पाठ्यक्रम(Kashi Study Course) में स्नातक और परास्नातक के डिग्री कोर्स संचालित किए जाएंगे। नए सत्र से इस बात की संभावना है कि आर्काइवल स्टडीज के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में लगभग 45 सीटें उपलब्ध होंगी।

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कक्षाओं के साथ प्रशिक्षण

एकेडमिक काउंसिल के साथ कार्यकारिणी परिषद से भी इस पाठ्यक्रम को पारित कराना जरूरी है। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम 3 सेमेस्टर में विभाजित होंगे। इसमें कक्षाएं भी चलेंगी और प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

पाठ्यक्रम शुरू करने का उद्देश्य

बीएचयू काशी अध्ययन पाठ्यक्रम(Kashi Study Course) को इसी उद्देश्य से शुरू कर रहा है कि युवाओं को काशी की महत्ता का पता चले। साथ ही काशी की पौराणिकता के साथ इसकी संस्कृति और इसकी विरासत को भी वे समझ पाएं।

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टीम वाराणसी मिरर

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